जस्टिस रमना ने कहा की इस बात पर बहस होनी चाहिए कि सोशल मीडिया किस तरह से संस्थाओं पर असर डालता है. जस्टिस रमना ने कहा कि ये पक्षपात नाइंसाफी को जन्म देता है. खास तौर पर अल्पसंख्यकों के मामले में.
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