केंद्र सरकार के मंत्री पेट्रोल और डीजल की कीमतों को लेकर के यह साफ कर चुके हैं कि इसकी कीमत पर सरकार का नियंत्रण बहुत ज्यादा नहीं रहता है बल्कि यह मार्केट से रेगुलेट होता है. पेट्रोल की कीमत को मार्केट से रेगुलेट करने का फैसला मनमोहन सरकार के दौरान ही लिया गया था. इसके साथ ही साथ है केंद्र सरकार के मंत्री लगातार यह कहते रहे हैं कि मनमोहन सरकार के लगभग दो लाख करोड़ के पेट्रोलियम बॉन्ड के बकाया को चुकाने के लिए पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाना जरूरी था.
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