अभिभावकों का आरोप है कि पिछले 4 साल में चेयरमैन एफएफआरसी ने अपने अधिकार का प्रयोग नहीं किया. उन्होंने ना तो स्कूलों की मनमानी की शिकायत पर अभिभावकों के हित में कोई उचित कार्रवाई की और ना किसी स्कूल का ऑडिट कराया, इतना ही नहीं बिना किसी स्कूल का ऑडिट कराए सीए को 3 लाख का भुगतान कर दिया.
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