देश में हर साल दो लाख 40 हजार नवजात बच्चे ह्रदय संबंधी बीमारियों के साथ पैदा होते हैं. चूंकि बच्चों के होने के कारण इसकी जानकारी देरी से मिल पाती है ऐसे में कुछ ही समय में यह गंभीर हो जाता है. लिहाजा ज्यादातर मामलों में विशेषज्ञों के द्वारा इलाज और सर्जरी की जरूरत पड़ती है. वहीं ग्रामीण इलाकों में जागरुकता की कमी, आर्थिक रूप से कमजोर स्थिति और डॉक्टरों तक पहुंच कम होने के कारण ज्यादातर बच्चों को समय पर इलाज नहीं मिल पाता.
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